Sunday 29 December 2013

लोकगीत - साजउ माता कै बहुरिया (स्वतंत्रता गीत)

   लोकगीत

(यह लोकगीत स्वतंत्रता को समर्पित है तथा आकाशवाणी लखनऊ द्वारा प्रसारित किया जा चुका है)

           साजउ माता कै बहुरिया सिंगारु अपना।
ब्रम्हपुत्र गंगा कौ निरखौ, जमुना कृष्ण कवेरी,
सती नर्मदा सरजू परखौ, गण्डक सोन निवेरी,
निरखौ मलकिन होइकै घर को पसारु अपना।।
           साजउ माता कै बहुरिया सिंगारु अपना।
अनगिन लाल लुटे लइबे मां,तुमरे टाट पटोरे,
अनगिन पूत मांग भरिबे कौ, तन को रकतु निचोरे,
निरखौ अचल सुहाग कौ, पगारु अपना।।
           साजउ माता कै बहुरिया सिंगारु अपना।
कोई परोसी तुमहि कनखियन, देखइ नैकु न भूलउ,
वीर शिवा सुखदेव निहारउ, तुम उन हिन पर फूलउ,
तजि कै प्रीति परदेसी कै विचारु अपना।।
          साजउ माता कै बहुरिया सिंगारु अपना।
दिल्ली और हिमाचल निरखौ, महाराष्ट्र केराला,
राजस्थान बंग कौ परखौ, एक - एक ते आला,
धानी चूनर संवारउ रूप सारू अपना।।
          साजउ माता कै बहुरिया सिंगारु अपना।

4 comments :

  1. sanjay kumar, y,d college30 December 2013 at 05:50

    Bahut hi achha hai. Padhakar Mitti ji yaad as gayi.

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  2. आप सभी का धन्यवाद।

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  3. आप सभी का धन्यवाद।

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