गीत
जीवन का घट रीत रहा है।
जीवन का पथ धीरे-धीरे चलते-चलते बीत रहा है।
आते कुछ, अतीत के सपने,
आते याद, पराये अपने।
उसकी स्मृतियां आ घिरतीं-
जो अतीत का मीत रहा है।
जीवन का घट रीत रहा है।।
अर्ध निमीलित नयन झुके से,
स्वर अधरों पर, मौन रुके से
जाने अनजाने ही वह क्षण -
जीवन का संगीत रहा है।
जीवन का घट रीत रहा है।।
कभी भरे भावुक तन मन से,
अधरों पर अगणित चुम्बन से,
जो अंकित हो गया वही तो-
जीवन का मधुगीत रहा है।
जीवन का घट रीत रहा है।।